कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
– दोहा –
एक बिलपत्रम एक पुष्पम, एक लोटा जल की धार,
दयालु रीझ के देते है, चंद्रमोली फल चार,
व्याघाम्बरं भस्माङ्गरं, जटा जुट लिबास,
आसन जमाये बैठे है, कृपा सिंधु कैलाश।
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
नमो बार बार हूँ,
आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू,
आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू।।
भक्तो को कभी शिव तुने निराश ना किया,
माँगा जिन्हें जो चाहा वरदान दे दिया,
बड़ा हैं तेरा दायजा, बड़ा दातार तू,
बड़ा दातार तू,
आयो शरण तिहारी प्रभु तार तार तू,
कैलाश के निवासी नमों बार-बार हूँ,
आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू।।
बखान क्या करू मै राखो के ढेर का,
चपटी भभूत में हैं खजाना कुबेर का,
है गंग धार, मुक्ति द्वार, ओंमकार तू,
ओंमकार तू,
आयो शरण तिहारी प्रभु तार तार तू
कैलाश के निवासी नमों बार-बार हूँ,
आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू।।
क्या क्या नहीं दिया है हम क्या प्रमाण दे,
बसे गए त्रिलोक शम्भू तेरे दान से,
ज़हर पिया, जीवन दिया, कितना उदार तू,
कितना उदार तू,
आयो शरण तिहारी प्रभु तार तार तू
कैलाश के निवासी नमों बार-बार हूँ,
आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू।।
तेरी कृपा बिना न हीले एक ही अणु,
लेते हैं स्वास तेरी दया से तणु तणु,
कहे ‘दाद’ एक बार मुझको निहार तू,
मुझको निहार तू,
आयो शरण तिहारी प्रभु तार तार तू
कैलाश के निवासी नमों बार-बार हूँ,
आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू।।
कैलाश के निवासी नमों बार बार हूँ,
नमो बार बार हूँ,
आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू,
आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू।।