कोहिनूर का जलवा है,
जन्नत का नजारा है,
कश्मीर की वादी में,
शेरोवाली का द्वारा है।।
-दोहा-
ना इसका है ना उसका है,
ना मेरा है ना तेरा है,
कश्मीर की प्यारी वादी में,
शेरोवाली का डेरा है।।
कोहिनूर का जलवा है,
जन्नत का नजारा है,
कश्मीर की वादी में,
शेरोंवाली का द्वारा है,
कोहिनूर का जलवा है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा है।
हर ओर पहाड़ों ने,
डाला हुआ घेरा है,
हर जगह बहारों ने,
फुलों को बिखेरा है,
भगवान ने धरती पर,
एक स्वर्ग उतारा है,
भगवान ने धरती पर,
एक स्वर्ग उतारा है,
कश्मीर की वादी में,
मेरी माँ का द्वारा है,
कोहिनूर का जलवा है।।
है केन्द्र तपस्या का,
ऋषियों की वो धरती है,
इस धरती की कुदरत भी,
आराधना करती है,
कोई पुण्य का सागर है,
मुक्ति का द्वारा है,
कोई पुण्य का सागर है,
मुक्ति का द्वारा है,
कश्मीर की वादी में,
शेरोवाली का द्वारा है,
कोहिनूर का जलवा है।।
माँ के उस द्वारे की,
महिमा ही निराली है,
खाली ना कभी आए,
जाता जो सवाली है,
ममता के सरोवर की,
अनमोल वो धारा है,
ममता के सरोवर की,
अनमोल वो धारा है,
कश्मीर की वादी में,
शेरोवाली का द्वारा है,
कोहिनूर का जलवा है।।
कोहिनूर का जलवा है,
जन्नत का नजारा है,
कश्मीर की वादी में,
शेरोवाली का द्वारा है।।