दूल्हा बना है भोला,
उज्जैन की नगरी में।।
-दोहा-
उज्जैन की हर गली गली,
दुल्हन की तरह से सजती है,
और भोले के दरबार में महफिल,
पंजे तन के लगती है।
महाकाल के भगत भंगिया पीके,
खुश होते हुए ये कहते है,
भोले की शादी आती है,
शहनाई और नौबत बजती है।
ए दुनिया वालो आओ,
महाकाल की नगरी में,
भोले का जलवा देखो,
सावन की इस लहर में,
खुशियों की लहर दौड़ी,
दुनिया की हर गली में,
आज झूम झूम के अब,
उज्जैन सज रही है,
दूल्हा बना है भोला,
उज्जैन की नगरी में।।
दीवानों आओ देखो,
क्या धूम मच रही है,
भोले की आई शादी,
किस तरह रच रही है,
भक्तो से इनकी महफिल,
किस तरह सज रही है,
और देखो इस खुशी में,
शहनाई बज रही है,
दूल्हा बना हैं भोला,
उज्जैन की नगरी में।।
अकाल मृत्यु वो मरे,
जो काम करे चांडाल का,
अरे काल भी उसका क्या करे,
जो भक्त जो महाकाल का।।
ए दुनिया वालो आओ,
महाकाल की नगरी में,
भोले का जलवा देखो,
सावन की इस लहर में,
खुशियों की लहर दौड़ी,
दुनिया की हर गली में,
आज झूम झूम के अब,
उज्जैन सज रही है,
दूल्हा बना हैं भोला,
उज्जैन की नगरी में।।