देवता भी स्वार्थी थे,
दौड़े अमृत के लिए,
हम सदा उनको भजेंगे,
जो जहर हंस के पिए,
हम नमन उनको करेंगे,
जो जहर हंस के पिए।।
तर्ज – हर करम अपना करेंगे।
जो रहे अमृत के पीछे,
सोचो वो क्या देव है,
जगत के खातिर विष पिया जो,
वो बने महादेव है,
हम नमन उनको करेंगे,
हम नमन उनको करेंगे,
जो सदा सबको दिए,
हम सदा उनको भजेंगे,
जो जहर हंस के पिए।।
औरो के खातिर जगत में,
सब नहीं जी सकते है,
जो है अविनाशी अजन्मा,
जहर वही पी सकते है,
हम नमन उनको करेंगे,
हम नमन उनको करेंगे,
जो मरे ना ना जिए,
हम सदा उनको भजेंगे,
जो जहर हंस के पिए।।
देवता भी स्वार्थी थे,
दौड़े अमृत के लिए,
हम सदा उनको भजेंगे,
जो जहर हंस के पिए,
हम नमन उनको करेंगे,
जो जहर हंस के पिए।।