Thursday, July 4, 2024
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बता दो कोई माँ के भवन की राह लिरिक्स Bata Do Koi Maa Ke Bhawan Ki Raah Lyrics In Hindi

-श्लोक-
दिखा दो डगर रे,
कोई माँ का दर रे,
मन में है चाव दीदार का,
भूल गया हूँ मैं परदेसी,
मैं राही माँ के द्वार का।

बता दो कोई माँ के भवन की राह,
मैं भटका हुआ डगर से,
एहसान करो रे एक मुझपे,
बेटे को माँ से दो मिलाओ,
बता दो कोई माँ के भवन की राह।।

भेज बुलावा माँ ने दर पे बुलाया,
नंगे पाँव मैं चल दर्शन को आया,
कठिन चढाई से भी ना घबराया,
भूल हुई क्या ये समझ ना पाया में,
भुला रस्ता ना संग सखा,
ऊपर से ये घनघोर घटा,
मुझको रही है डराय,
बता दो कोई माँ के भवन की राह।।

कर किरपा दुखो ने मुझको घेरा,
कुछ सूझे ना छाया हर और अँधेरा,
माना बदियो में लगा रहा मन मेरा,
हूँ लाख बुरा पर माँ ये लख्खा तेरा,
माँ तेरे सिवा नहीं कोई मेरा,
फरियाद करूं मैं हाथ उठा,
कर भी दो माफ गुनाह,
बता दो कोई माँ के भवन की राह।।

कुछ सुनना है माँ तुमसे कुछ कहना है,
बिना दरश के पल पल बरसे नैना है,
तेरे नाम के रंग में रंग के चोला पहना है,
सरल सदा ही चरणों में अब रहना है,
जब दर पे लिया ‘लख्खा’ को बुला,
कँवले की तरह मत भटका,
दरसन दिखाओ मेरी माँ,
बता दो कोई माँ के भवन की राह।।

बता दो कोई माँ के भवन की राह,
मैं भटका हुआ डगर से,
एहसान करो रे एक मुझपे,
बेटे को माँ से दो मिलाओ,
बता दो कोई माँ के भवन की राह।।

BhajanSarthi
BhajanSarthi
Singer, Bhajan Lover, Blogger and Web Designer

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