भरोसा महाकाल का,
आजकल जिक्र करता नहीं,
मैं किसी से मेरे हाल का,
क्योंकि अब मन में रखने लगा,
मैं भरोसा महाकाल का।।
हार कर बैठ जाता हूं मैं,
सामने अपने महाकाल के,
हे तरीका निराला बड़ा,
उनका भगतो की देखभाल का,
आजकल जिक्र करता नहीं,
मैं किसी से मेरे हाल का।।
साथ चलते हैं महाकाल जब,
जिंदगी ही बदल जाती है,
हाथ सर पर जो इनका रहे,
काम क्या फिर किसी ढाल का,
आजकल जिक्र करता नहीं,
मैं किसी से मेरे हाल का।।
उनकी रहमत का क्या पूछिए,
बिगड़ी किस्मत बदल जाती है,
काट देते हैं फंदा ही वो,
सारे दुख और जंजाल का,
आजकल जिक्र करता नहीं,
मैं किसी से मेरे हाल का।।
भरोसा महाकाल का,
आजकल जिक्र करता नहीं,
मैं किसी से मेरे हाल का,
क्योंकि अब मन में रखने लगा,
मैं भरोसा महाकाल का।।