दिल से दिल भरकर ना देखि,
मूरत सीताराम की,
हर दिल के अंदर बसी है,
झांकी सीताराम की,
दिल से दिल भरकर ना देखि,
मूरत सीताराम की।।
भक्त हो तो ऐसे हो,
जैसे है हनुमान जी,
सीना फाड़ करके दिखाई,
मूरत सीताराम की,
दिल से दिल भरकर ना देखी,
मूरत सीताराम की।।
भक्त हो तो ऐसे हो,
जैसे है प्रह्लाद जी,
कर्म खम्बे में दिखाई,
मूरत सीताराम की,
दिल से दिल भरकर ना देखी,
मूरत सीताराम की।।
भक्तन हो तो ऐसी हो,
जैसी मीराबाई जी,
जहर को अमृत बनाया,
जय जय सीताराम की,
दिल से दिल भरकर ना देखी,
मूरत सीताराम की।।
दिल से दिल भरकर ना देखि,
मूरत सीताराम की,
हर दिल के अंदर बसी है,
झांकी सीताराम की,
दिल से दिल भरकर ना देखी,
मूरत सीताराम की।।