दो राजपुत्र दो तेजवंत,
दो शक्तिमान टकरावे,
तीरन से काटे तीरन को,
तीरन पे तीर चलावे,
हर हर महादेव,
हर हर महादेव।।
क्या महाप्रतापी मेघनाथ,
जितने भी शस्त्र चलाता है,
जितने भी शस्त्र चलाता है,
उत्तर से आया लक्ष्मण सबके,
उत्तर देता जाता है,
उत्तर देता जाता है,
कोई क्रांत नहीं दोनों में कोई,
नहीं पीछे पाँव हटाता है,
नहीं पीछे पाँव हटाता है,
यह महासमर हर बार और भी,
गहरा होता जाता है,
गहरा होता जाता है,
बाणों से निकले अग्नि कभी,
बरसात कभी बरसावे,
तीरन से काटे तीरन को,
तीरन पे तीर चलावे,
हर हर महादेव,
हर हर महादेव।।
एक युद्ध करे बाहुबल से,
एक शस्त्रो पर अभिमान करे,
एक शस्त्रो पर अभिमान करे,
एक राम चंद्र की जय बोले,
एक रावण का जयगान करे,
एक रावण का जयगान करे,
मुस्काये राम रण देख चकित,
सबको लक्ष्मण का बाण करे,
सबको लक्ष्मण का बाण करे,
यह महा समर वो जीत गया,
जिसकी विजय भगवान करे,
जिसकी विजय भगवान करे,
दोनों अपने सन्मान हेतु,
प्राणो का दांव लगावे,
तीरन से काटे तीरन को,
तीरन पे तीर चलावे,
हर हर महादेव,
हर हर महादेव।।
दो राजपुत्र दो तेजवंत,
दो शक्तिमान टकरावे,
तीरन से काटे तीरन को,
तीरन पे तीर चलावे,
हर हर महादेव,
हर हर महादेव।।