Monday, July 7, 2025
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आदियोगी दूर उस आकाश की गहराइयों में भजन लिरिक्स Door Us Akash Ki Gahraiyon Me Adiyogi Lyrics In Hindi

आदियोगीदूर उस आकाश की गहराइयों में,
इक नदी से बह रहे हैं आदियोगी,
शून्य सन्नाटे टपकते जा रहे हैं,
मौन से सब कह रहे हैं आदीयोगी,
योग के इस स्पर्श से अब,
योगमय करना है तन मन,
सांस शाश्वत सनन सननन,
प्राण गुंजन घनन घननन,
उतरे मुझ में आदियोगी,
योग धारा छलक छनछन,
सांस शाश्वत सनन सननन,
प्राण गुंजन घनन घननन,
उतरे मुझ में आदीयोगी,
उतरे मुझ में आदीयोगी।।

पीस दो अस्तित्व मेरा,
और कर दो चूरा चूरा,
पूर्ण होने दो मुझे और,
होने दो अब पूरा पूरा,
भस्म वाली रस्म कर दो आदीयोगी,
योग उत्सव रंग भर दो आदीयोगी,
बज उठे ये मन सितारी,
झनन झननन झनन झननन,
सांस शाश्वत सनन सननन,
प्राण गुंजन घनन घननन,
सांस शाश्वत सनन, सननन,
प्राण गुंजन घनन घननन,
उतरे मुझ में आदियोगी,
योग धारा छलक छनछन,
सांस शाश्वत सनन सननन,
प्राण गुंजन घनन घननन,
उतरे मुझ में आदीयोगी,
उतरे मुझ में आदीयोगी।।

BhajanSarthi
BhajanSarthi
Singer, Bhajan Lover, Blogger and Web Designer

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