Saturday, June 21, 2025
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गंगा से गंगाजल भरके काँधे शिव की कावड़ धरके लिरिक्स Ganga Se Gangajal Bharke Kandhe Shiv Ki Kawad Dharke Lyrics

गंगा से गंगाजल भरके,
काँधे शिव की कावड़ धरके,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो।।

सावन महीने का पावन नजारा,
अद्भुत अनोखा है भोले का द्वारा,
सावन की जब जब है बरसे बदरिया,
सावन की जब जब है बरसे बदरिया,
झूमे नाचे और बोले कावड़िया,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो।।

रस्ता कठिन है और मुश्किल डगर है,
भोले के भक्तो को ना कोई डर है,
राहों में जितने भी हो कांटे कंकर,
राहों में जितने भी हो कांटे कंकर,
हर एक कंकर में दीखते है शंकर,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो।।

कावड़ तपस्या है भोले प्रभु की,
ग्रंथो ने महिमा बताई कावड़ की,
होंठो पे सुमिरन हो पेरो में छाले,
होंठो पे सुमिरन हो पेरो में छाले,
‘रोमी’ तपस्या हम फिर भी कर डाले,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो।।

गंगा से गंगाजल भरके,
काँधे शिव की कावड़ धरके,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो।।

BhajanSarthi
BhajanSarthi
Singer, Bhajan Lover, Blogger and Web Designer

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