काँटों से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है,
जैसा भी हूँ हरपल,
मुझ पर बलिहारी है,
इस पुरे जगत में मेरी,
माँ सबसे निराली है,
कांटो से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा।
खुद सो कर के भूखा,
भर पेट खिलाती है,
पीकर के हर आंसू,
हर दम मुस्काती है,
हालत हो कैसा भी,
मुझ पर इठलाती है,
इस पुरे जगत में मेरी,
माँ सबसे निराली है,
कांटो से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है।।
हर एक मुसीबत से,
लड़ना सिखलाती है,
खुद को ये अकेले में,
अक्सर बहलाती है,
गम की परछाई को,
खुद गले लगाती है,
इस पुरे जगत में मेरी,
माँ सबसे निराली है,
कांटो से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है।।
जबतक है साया तेरा,
हर रोज दिवाली है,
तेरे आँचल की छाया,
करती रखवाली है,
भगवान की धरती पर,
‘चेतन’ तू निशानी है,
इस पुरे जगत में मेरी,
माँ सबसे निराली है,
कांटो से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है।।
काँटों से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है,
जैसा भी हूँ हरपल,
मुझ पर बलिहारी है,
इस पुरे जगत में मेरी,
माँ सबसे निराली है,
कांटो से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है।।