करता वो याद तुझे–३,
जिस पर तू मेहरबान हुई–२,
ध्यान मे डूब गया हो–३,
माँ जिस पर मेहरबान हुई,
भजता वो मात तुझे–३,
जिस पर तू मेहरबान हुई,
निशदिन वो ध्याए तुझे–३,
तू जिसपे निगेहबान हुई,
करता वो याद तुझे।।
तर्ज – इतना तो याद है मुझे।
जिन पर हो साया,
दया का माँ तुम्हारा,
दिवाना तेरा वो हो जाए,
तेरी सुरतिया,
माँ तेरी मुरतिया,
मन मे जो माँ उसके समा जाए,
और न चाहे कुछ उसे ३,
जिस पर तू मेहरबान हुई,
करता वो याद तुझे।।
दुष्टों को मारे,
भक्तो को तू तारे,
महिमा ये माँ तेरी सब गाए,
भोली बड़ी है,
माँ तू प्यारी बड़ी है,
भक्तो की तू लाज बचाए,
नैया को पार करे–३,
जिस पर तू मेहरबान हुई,
करता वो याद तुझे।।
तू ने ऐ मइया,
तारी सबकी है नइया,
माँ मेरी भी बारी कब आए,
मन है उदासी,
माँ अँखियाँ है प्यासी,
कब जाने तू दर्शन दिखाए,
“शिव”पे भी करदे दया ३,
ज्यों सबपे मेहरबान हुई,
करता वो याद तुझे।।
करता वो याद तुझे–३,
जिस पर तू मेहरबान हुई–२,
ध्यान मे डूब गया हो–३,
माँ जिस पर मेहरबान हुई,
भजता वो मात तुझे–३,
जिस पर तू मेहरबान हुई,
निशदिन वो ध्याए तुझे–३,
तू जिसपे निगेहबान हुई,
करता वो याद तुझे।।