माँ में संसार समाया,
ऋषि मुनियों ने बतलाया,
प्रभु ने खुद से भी ऊंचा,
माँ का स्थान बताया,
जगत सारा माँ की मन्नत है,
चरणों में जन्नत है।।
तर्ज – ये बंधन तो।
ममता के मंदिर की है,
ये सबसे प्यारी मूरत,
भगवान नजर आता है,
जब देखूं माँ की सूरत,
माँ के पावन चरणो में,
सच्चा बैकुंठ समाया,
इस प्यार भरी ममता को,
स्वयं नारायण ने पाया,
जगत सारा माँ की मन्नत है,
चरणों में जन्नत है।।
जो भरी धूप में करदे,
अपने आंचल की छाया,
गोद में भर के तन को,
मेरा हर दोष मिटाया,
जो खुद धरती पर सोये,
मेरे हर अश्क को धोएं,
चाहे जो कष्ट उठाये,
संतान ना भूखी सोये,
जगत सारा माँ की मन्नत है,
चरणों में जन्नत है।।
बच्चे के अपने आंसू,
आँचल में अपने पिरोती,
शब्दों में बयां ना होगा,
ऐसा अनमोल ये मोती,
नयनों में शीतल धारा,
जैसे चमकीला तारा,
हकलाती जुबां को देती,
शब्दो की अविरल धारा,
जगत सारा माँ की मन्नत है,
चरणों में जन्नत है।।
माँ में संसार समाया,
ऋषि मुनियों ने बतलाया,
प्रभु ने खुद से भी ऊंचा,
माँ का स्थान बताया,
जगत सारा माँ की मन्नत है,
चरणों में जन्नत है।।