पल पल नाम जपूं में तेरा,
तेरी अलख जगाऊं ,
दे दो माता दरस के में भी,
भवसागर तर जाऊं।।
तर्ज – कब तक याद करूं में उसको ।
फूलों सा कोमल मेरा मन,
जीवन तमस भरा है,
बस तेरे इक दरस बिना,
सब कुछ धुंधला धुंधला है,
माझी हूं फंस गया भंवर में,
नैया पार लगा दो,
भूले भटके मेरे जैसे,
सब को राह दिखा दो।
पर्वत चढ़कर जयकारों संग,
तेरे दर पर आऊं,
दे दो माता दरस के में भी,
भवसागर तर जाऊं।।
आंखों में पानी का गढ़ है,
रोके ना रुक पाए,
फिर भी मेरा रोम रोम बस,
तेरी महिमा गाए,
दुनिया मारे ठोकर तेरी,
बर्बर हुआ ज़माना,
आस है बाकी तेरी इक माँ,
तूना मुझे भुलाना ।
इक पल भेंट करो मैया,
कुछ अपनी व्यथा सुनाऊं
दे दो माता दरस के में भी,
भवसागर तर जाऊं।।
पल पल नाम जपूं में तेरा,
तेरी अलख जगाऊं ,
दे दो माता दरस के में भी,
भवसागर तर जाऊं ।।