पत्थर भी तर गए जिस नाम से,
पार उतर गए जिस नाम से,
सबके बनाता जो काम है,
वो राम है वो राम है,
वो राम है श्री राम है,
जीवन संवर जिस नाम से,
जिनका दरस सुख का धाम है,
वो राम है वो राम है,
वो राम है श्री राम है।।
नाम लेकर के बजरंग ठाड़े,
वीर लंका में जाकर दहाड़े,
अक्षय को मारा निचे पटक कई,
राक्षस पकड़ कर पछाड़े,
सीता को मुदरी जाकर के दी,
समझी वो जिनका पैगाम है,
वो राम है वो राम है,
वो राम है श्री राम है।।
नाम अंगद ने मन में बसाया,
पाँव लंका में जाकर जमाया,
योद्धा वहां जब सब हार माने,
वानर ने करतब दिखाया,
लंका में चर्चा बस एक थी,
जिनका भगत शक्ति का धाम है,
वो राम है वो राम है,
वो राम है श्री राम है।।
आज तक जो अमर है कहानी,
पग से तर गई अहिल्या सी रानी,
‘रघुवंशी’ जो राम का नाम गाए,
होती सफल जिंदगानी,
‘ब्रजराज’ पे भी दया हो गई,
करता वो जिनका गुणगान है,
वो राम है वो राम है,
वो राम है श्री राम है।।
पत्थर भी तर गए जिस नाम से,
पार उतर गए जिस नाम से,
सबके बनाता जो काम है,
वो राम है वो राम है,
वो राम है श्री राम है,
जीवन संवर जिस नाम से,
जिनका दरस सुख का धाम है,
वो राम है वो राम है,
वो राम है श्री राम है।।