Saturday, February 22, 2025
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राम सीता और लखन वन जा रहे हिंदी भजन लिरिक्स Ram Sita Aur Lakhan Van Ja Rahe Hindi Lyrics

राम सीता और लखन वन जा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
राम सीता और लखन वन जा रहे।।

मुर्ख कैकई ने किया है ये सितम,
मुर्ख कैकई ने किया है ये सितम,
दुःख दिल में जो की सब जन पा रहे,
दुःख दिल में जो की सब जन पा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
राम सीता और लखन वन जा रहे।।

रह सकेंगे प्राण तन में क्या मेरे,
रह सकेंगे प्राण तन में क्या मेरे,
ध्यान में ना ये नतीजे ला रहे,
ध्यान में ना ये नतीजे ला रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
राम सीता और लखन वन जा रहे।।

क्या विचारा था मेने क्या हो रहा,
क्या विचारा था मेने क्या हो रहा,
फूल आशाओ के खिल मुरझा रहे,
फूल आशाओ के खिल मुरझा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
राम सीता और लखन वन जा रहे।।

गा रहे थे जो ख़ुशी के गीत कल,
गा रहे थे जो ख़ुशी के गीत कल,
आज वे दुःख के विरह यूँ गा रहे,
आज वे दुःख के विरह यूँ गा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
राम सीता और लखन वन जा रहे।।

भाग्य में क्या ये विधाता लिख दिया,
भाग्य में क्या ये विधाता लिख दिया,
पहुंच के मंजिल पे ठोकर खा रहे,
पहुंच के मंजिल पे ठोकर खा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
राम सीता और लखन वन जा रहे।।

रोक ले कोई उन्हें समझाय कर,
रोक ले कोई उन्हें समझाय कर,
ज्ञान प्रभु दिल में यही है मना रहे,
ज्ञान प्रभु दिल में यही है मना रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
राम सीता और लखन वन जा रहे।।

राम सीता और लखन वन जा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,
राम सीता और लखन वन जा रहे।।

BhajanSarthi
BhajanSarthi
Singer, Bhajan Lover, Blogger and Web Designer

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