Sunday, February 23, 2025
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रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा लिरिक्स Re Man Ye Do Din Ka Mela Rahega Lyrics

रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा,
कायम ना जग का झमेला रहेगा।।

– श्लोक –
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर, प्रभु को नियम बदलते देखा,
अपना मान टले टल जाये, पर भक्त का मान ना टलते देखा।

रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा,
कायम ना जग का झमेला रहेगा।।

किस काम ऊँचा जो तू,
महला बनाएगा,
किस काम का लाखो का जो,
तोड़ा कमाएगा,
रथ हाथियों का झुण्ड भी,
किस काम आएगा,
जैसा तू यहाँ आया था,
वैसा ही जाएगा,
तेरी सफर में सवारी की खातिर,
तेरी सफर में सवारी की खातिर,
कंधो पे ठठरी का ठेला रहेगा,
रे मन यें दो दिन का मेला रहेगा,
कायम ना जग का झमेला रहेगा।।

कहता है ये दौलत कभी,
आएगी मेरे काम,
पर यह तो बता धन हुआ,
किसका भला गुलाम,
समझा गए उपदेश,
हरिश्चंद्र कृष्ण राम,
दौलत तो नहीं रहती है,
रहता है सिर्फ नाम,
छूटेगी सम्पति यहाँ की यहीं पर,
छूटेगी सम्पति यहाँ की यहीं पर,
तेरी कमर में ना अधेला रहेगा,
रे मन यें दो दिन का मेला रहेगा,
कायम ना जग का झमेला रहेगा।।

साथी है मित्र गंगा के,
जल बिंदु पान तक,
अर्धांगिनी बढ़ेगी तो,
केवल मकान तक,
परिवार के सब लोग,
चलेंगे मशान तक,
बेटा भी हक़ निभाएगा,
तो अग्निदान तक,
इसके तो आगे भजन ही है साथी,
इसके तो आगे भजन ही है साथी,
हरी के भजन बिन तू अकेला रहेगा,
रे मन यें दो दिन का मेला रहेगा,
कायम ना जग का झमेला रहेगा।।

रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा,
कायम ना जग का झमेला रहेगा।।

BhajanSarthi
BhajanSarthi
Singer, Bhajan Lover, Blogger and Web Designer

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