सजा दो घर को गुलशन सा,
भवानी मात आई है,
भवानी मात आई हैं,
भवानी मात आई हैं,
करे स्वागत सभी मिलकर,
भवानी मात आई हैं।।
तर्ज – सजा दो घर को गुलशन सा।
जलाकर प्रेम का दीपक,
करे हम दुर्गा का पूजन,
अतिथि बनकर माँ अम्बे,
हमारे द्वार आई है,
सजा दो घर को गुलशन सा,
भवानी मात आई हैं।।
झुकाकर शीश चरणों में,
करे तन मन सभी अर्पण,
कृपा करने स्वर्ग से माँ,
धरा पर आज आई है,
सजा दो घर को गुलशन सा,
भवानी मात आई हैं।।
करे हम वंदना माँ की,
जोड़कर हाथ को अपने,
है पावन पर्व ये अपना,
क्वांर नवरात आई है,
सजा दो घर को गुलशन सा,
भवानी मात आई हैं।।
सजा दो घर को गुलशन सा,
भवानी मात आई है,
भवानी मात आई हैं,
भवानी मात आई हैं,
करे स्वागत सभी मिलकर,
भवानी मात आई हैं।।