अमृत किसी के पास नही सब,
मालिक विष भंडार का,
शिव के शरण में नही गए तो,
क्या होगा संसार का।।
जितना सर कटता रावण का,
फिर से सर लग जाता है,
एक दुष्ट मरता है जैसे,
दस पैदा हो जाता है,
दुष्ट प्रविर्ती को ही मारो,
रास्ता है उद्धार का,
शिव की शरण में नही गए तो,
क्या होगा संसार का।।
पाप कर्म करके जीवन में,
क्षणिक मान पा सकता है,
इसी जनम में फ़ल आएगा,
कोई टाल न सकता है,
प्रबल समर्पण इस्वर करते,
जग में सत्य विचार का,
शिव की शरण में नही गए तो,
क्या होगा संसार का।।
शिव से करो आराधन आके,
जन जन का कल्याण करे,
हो खुशहाल देश अब मेरा,
हर दिल मे आनंद भरे,
हम देंगे उपहार विश्व को,
भक्ती ज्ञान और प्यार का,
शिव की शरण में नही गए तो,
क्या होगा संसार का।।
अमृत किसी के पास नही सब,
मालिक विष भंडार का,
शिव के शरण में नही गए तो,
क्या होगा संसार का।।