Monday, July 8, 2024
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शिव की जटा से बरसे गंगा की धार है लिरिक्स Shiv Ki Jata Se Barse Ganga Ki Dhar Hai Lyrics In Hindi

शिव की जटा से बरसे,
गंगा की धार है,
गंगा की धार है,
महीना ये सावन का है, 
छाई बहार है।।

तर्ज – सौ साल पहले।

कावड़िये भर भर के,
चढाने कावड़ निकले है,
हर जुबां से बम बम के,
जय जयकारे निकले है,
शिवमय हुआ है देखो,
सारा संसार है,
सारा संसार है,
महीना ये सावन का है,
छाई बहार है।।

भोले की भक्ति में,
झूम रहे नर और नारी है,
अभिषेक करने को,
भीड़ पड़ी भी भारी है,
सजा है शिवालय देखो,
आज सोमवार है,
आज सोमवार है,
महीना ये सावन का है,
छाई बहार है।।

मेरा भोला बाबा है,
इनके भक्त सभी प्यारे,
इक लौटा जल से ही,
कर दे ये वारे न्यारे,
‘राघव’ मिला है जो भी,
बाबा का प्यार है,
बाबा का प्यार है,
महीना ये सावन का है,
छाई बहार है।।

शिव की जटा से बरसे,
गंगा की धार है,
गंगा की धार है,
महीना ये सावन का है,
छाई बहार है।।

BhajanSarthi
BhajanSarthi
Singer, Bhajan Lover, Blogger and Web Designer

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