Tuesday, September 30, 2025
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श्री शिव चालीसा हिन्‍दी लिरिक Shri Shiv Chalisa lyrics in hindi

 

श्री शिव चालीसा – Shiv Chalisa

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजासुवन मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम देउ अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥

जय गिरिजापति दीनदयाला ,
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ,
कानन कुण्डल नाग फनी के ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ,
मुण्डमाल तन क्षार लगाये ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ,
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु कि हवे दुलारी ,
वाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ,
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नंदी गणेश सोहैं तहं कैसे ,
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ ,
या छवि कौ कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ,
तबहिं दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी ,
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायौ ,
लव निमेष महं मारि गिरायौ ॥

आप जलंधर असुर संहारा ,
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ,
तबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी ,
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं ,
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

वेद माहि महिमा तुम गाई ,
अकथ अनादि भेद नहीं पाई ॥

प्रकटे उदधि मंथन में ज्वाला ,
जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ह दया तहं करी सहाई ,
नीलकंठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हां ,
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

सहस कमल में हो रहे धारी ,
कीन्ह परीक्षा तबहिं त्रिपुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ,
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ,
भये प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनंत अविनाशी ,
करत कृपा सबके घट वासी ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावैं ,
भ्रमत रहौं मोहे चैन न आवैं ॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ,
यह अवसर मोहि आन उबारो ॥

ले त्रिशूल शत्रुन को मारो ,
संकट से मोहिं आन उबारो ॥

मात पिता भ्राता सब कोई ,
संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी ,
आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा ही ,
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करों तुम्हारी ,
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन ,
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ,
शारद नारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ,
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई ,
ता पर होत हैं शम्भु सहाई ॥

रनियां जो कोई हो अधिकारी ,
पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र होन की इच्छा जोई ,
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ,
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ,
तन नहिं ताके रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ,
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे ,
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ,
जानि सकल दुख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥

नित नेम उठि प्रातःही पाठ करो चालीस ।
तुम मेरी मनकामना पूर्ण करो जगदीश ॥

 

BhajanSarthi
BhajanSarthi
Singer, Bhajan Lover, Blogger and Web Designer

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