Tuesday, June 17, 2025
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विधना तेरे लेख किसी की समझ ना आते हैं लिरिक्स Vidhna Tere Lekh Kisi Ki Samajh Na Aate Hain Lyrics In Hindi

विधना तेरे लेख किसी की,
समझ ना आते हैं।

– दोहा –

व्याकुल दशरथ के लगे, रथ के पथ पर नैन।
रथ विहीन वन वन फिरें, राम सिया दिन रेन।।

विधना तेरे लेख किसी की,
समझ ना आते हैं,
जन जन के प्रिय राम लखन सिय,
वन को जाते हैं।।

एक राजा के राज दुलारे,
वन वन फिरते मारे मारे,
होनी होकर रहे कर्म गति,
टरे नहीं काहूँ के टारे,
सबके कष्ट मिटाने वाले,
कष्ट उठाते हैं,
जन जन के प्रिय राम लखन सिय,
वन को जाते हैं।।

फूलों से चरणों में काँटे,
विधि ने क्यों दु:ख दीन्हे ऐसे,
पग से बहे लहु की धारा,
हरि चरणों से गंगा जैसे,
सहज भाव से संकट सहते,
और मुस्काते हैं,
जन जन के प्रिय राम लखन सिय,
वन को जाते हैं।।

राजमहल में पाया जीवन,
फूलों में हुआ लालन पालन,
राजमहल के त्याग सभी सुख,
त्याग अयोध्या त्याग सिंहासन,
कर्म निष्ठ हो अपना अपना,
धर्म निभाते हैं,
महलों के वासी जंगल में,
कुटि बनाते हैं।।

कहते हैं देवों ने आकर,
भील किरात का भेष बनाकर,
पर्णकुटी रहने को प्रभु के,
रखदी हाथों हाथ सजाकर,
सिया राम की सेवा करके,
पुण्य कमाते हैं,
महलों के वासी जंगल में,
कुटि बनाते हैं।।

विधना तेरे लेंख किसी की,
समझ ना आते हैं,
जन जन के प्रिय राम लखन सिय,
वन को जाते हैं।।

BhajanSarthi
BhajanSarthi
Singer, Bhajan Lover, Blogger and Web Designer

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